मैं तुमसे बात करूँ या ना करूँ,
प्यारभरी रात करूं या ना करूँ ।
याद रखो तुम मेरे कण कण में हो,
तुम्हे फ़िर याद करूँ या ना करूँ ।
ज़रूरी जब होगा, तुम आओगे,
तुम्हे कभी साद करूँ या ना करूँ ।
मेरी ज़िन्दगी सिर्फ़ तुम्हारी ही है,
इश्क़ का इज़हार करूँ या ना करूँ ।
प्यारे ही इतने हो तुम ‘अख़्तर’ को,
वारी मेरी ज़ात करूँ या ना करूँ ।
-अख़्तर खत्री
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