अपने एहसासों को यूँ छुपाया ना करो,
चुप रह कर तुम मुझे यूँ सताया ना करो ।
अल्फ़ाज़, ख़ामोशी से अच्छे ही होते हैं,
सिर्फ़ इशारों से इश्क़ को जताया ना करो ।
कुछ बेचैन सा हो जाता है, ये मेरा मन,
रूठ कर के मेरी जान जलाया ना करो ।
ख़ुद आ कर के जान लो तुम मेरा हाल,
गैरों से ऐसे मेरा हाल पुछवाया ना करो ।
बिछड़ कर तुमसे, जी नहीं पाऊंगा मैं,
‘अख़्तर’ तुम्हारा है, भूल जाया ना करो ।
-अख़्तर खत्री
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