इस बारिश्मे दिल की ख्वाहिश है,
तालाब में गिरती पहले पहले बारिश की बूंदो को देखने की।
आम के पेड़ो पर सावन के झूले बांधकर झूलने की,
फूटपाथ के किनारे दौड़ते पानी में कागज़ की कश्तिया चलाने की।
भीगी राहों पर खुल्ले पैर से घास को छूते हुए चलने की,
बरसते हुए बारिश में आसमान को देखकर आँखे मूँद ने की।
किसी की ज़ुल्फ़ों से उतरती दो बूंदो को हथेलियों पर झेलने की,
सुने जंगल में रखी हुई बेंच पर भीगते हुए मूंगफलियां खाने की।
फूलों से भरी वादियों में उड़ती हुई रंगबेरंगी तितलियों को बारिश में नहाते देखने की।
-आसिम !!!
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