कहते है नाम में क्या रखा है
फिर भी दिलमे एक छुपाए रखा है
आ जाता है कभी लबो तलक
बरसो से जो दिलमे छुपाए रखा है
दुनिया अभी भी अनजान है
क्यों उसे दिलमे छुपाए रखा है
इश्क़ का यही हुन्नर है
अभी तक छुपाये रखा है
ग़ैरों से मिलते है खुले आम
अपनों को छुपाये रखा है
पढ़ लेगा जो मेरी निगाहें
समझेगा ,क्या छुपाये रखा है !!
-आसिम बक्षी
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