इस साल की बारिश में
एक छाते में साथ चलना मुश्किल होगा
बूंदे टपकती होगी ज़ुल्फ़ों से
हाथों से हटाना मुश्किल होगा
तुम भीगना जी भर के
साथ भीगना मुश्किल होगा
चाहे कड़केगी बिजलियाँ
बाहों में समाना मुश्किल होगा
बोहोत बुलाएगी भीगी राहें
साथ चलना मुश्किल होगा
असर तो होगा मौसम का
उसे जताना मुश्किल होगा
दूर बैठकर देखेंगे नज़ारे
पास आना मुश्किल होगा
भीगी होगी आँखे बोहोत
आंसू पोछना मुश्किल होगा !!!
-आसिम बक्षी
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