ख्वाबों के शहर से अब कहाँ रास्ता मेरा …..
एक उम्र हो गई, अब नींद से कहाँ वास्ता मेरा ।।
थोड़ी तकलीफ़ , थोड़ा गम, थोड़ी परेशानियाँ है
बाकी सब ठीक है ….
चंद मुश्किलें , थोड़ी उलझन , थोड़ी बेचैनियाँ है
बाकी सब ठीक है …..
जी रहे हैं हम , या यूँ की , रस्म अदायगी समझो
कुछ अड़चने , थोड़ी कठिनाइयाँ हैं
बाकी सब ठीक है ….
कहने को , यूँ तो , बहुत कुछ है लेकिन
कुछ बेबसी , कुछ मजबूरियाँ हैं
बाकी सब ठीक है …..
हों अपने , या की गैर , सब एक से हैं,
यहाँ धोखे , वहाँ रुसवाईयाँ हैं
बाकी सब ठीक है ….
समय की चोट से , दो हिस्सों में …बँट गया है मन
एक तरफ शोर बहुत , एक तरफ खामोशियां है
बाकी सब ठीक है ……
Categories: Poems / कविताए