बस यही घर पे बैठे बैठे
चिडियाए भी देख ली
बस युही घर पे बैठे बैठे
तितलियाँ भी देख ली
रोज़ शाम अकेला ढलता सूरज
उसकी सुनहरी धुप भी देख ली
कभी घर की सोची नहीं मशरूफियत में
चलो इसी बहाने घर की दुनिया भी देख ली
परिवार का प्यार पास मे ही था
सब की आंखोमे मोहब्बतें भी देख ली
कौन कहता है लोकडाउन पाबन्दी है
सही मायने में आज़ादी भी देख ली
कोई भी बातें urgent नहीं होती
21 दिन में यह बातें भी सिख ली !!!
-आसिम !!!
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