धीरे धीरे से हमें तुम से मुहब्बत होती जा रही है,
ख़ुशियों में हर पल अब बरकत होती जा रही है ।
सब कुछ भूलने लगे हैं, यहाँ तक कि ख़ुद को भी,
जब से तुम से हमारी ये सोहबत होती जा रही है ।
चाहा और पा भी लिया तुम्हे, ग़ज़ब बात है ये,
लग रहा है कि ख़ुदा की रहमत होती जा रही है ।
कोई ये माने या ना माने लेकिन तुम मेरे ही हो,
हाथों की लकीरों में जैसे हरक़त होती जा रही है ।
नामुमकिन है अब एक पल भी तुम बिना, ‘अख़्तर’
ज़िन्दगी जैसे की तुम्हारी आदत होती जा रही है ।
-Dr. Akhtar Khatri
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