बिखर जाने के बाद भी नई शुरुआत हो सकती है,
ख़ामोश रह कर भी मुहब्बत की बात हो सकती है ।
#अख़्तर_खत्री
*******
तुम्हारी तपिश से पिघल जाए वजूद ये हमारा
कभी तो निगाहों से तुम हमको ऐसे छुआ करो।
*******
कद बढ़ा नहीं करते ,ऐड़ियां उठाने से,
उचाइयां तो मिलती हैं ,सर झुकाने से।
*******
क़लम जब तुमको लिखती है,
दख़ल-अंदाजी फ़िर हम नहीं करते।
*******
ग़ज़ल कैसे हुई अल्लाह जाने
मैं तो तुमसे बात करना चाहता था।
*******
सुलह कर लो..
अपनी किस्मत से..,
एक वही है..,
जो बिकती नहीं है बाजार में…
*******
बहती जा
दुःख – दर्द की इन लहरों के बीच
डूबती तैरती मैं
कुछ पल जीने की
कोशिश कर लेती हूँ
जीवन का मतलब ही बहना है
और फिर मैं तो सरिता हूँ
शिकायतों के पिटारे ना खोल
मुसीबतों के पहाढ़ ना बना
दुख बायाँ ना कर
बस बहती जा
दर्द ना बाँट किसी से
अपने ज़ख़्म ना दिखा
इन आहों को दबा
ये आँसू ना बहा
बस बहती जा ….
-सरिता सागर
*******
जब भी अकेली होती हूँ तो एक बात सोचती हूँ…
आखिर मुझे क्या पाना है जो मैं खुद को खो रही।
*******
अब यकीन का हाल, ये बन चुका है के..
डर घावों से नहीं, लगावों से लगने लगा है…!!
*******
सबूत तो गुनाहो के होते है,
बेगुनाह मोहब्बत का क्या सबूत दें ?
*******
नज़र उतार लूँ, या नज़र में उतार लूँ….
तुम आ जाओगे यूँ ही, या फिर से पुकार लूँ…
*******
जिस परिंदे को अपनी उड़ान से फुरसत ना थी कभी,
आज हुआ तनहा तो मेरी ही दीवार पे आ बैठा !!
*******
अपनी बद-दुआ अपने पास ही रखो सनम,
मुझे इश्क़ है खुद ही मर जाऊँगा…
*******
हर जगह इत्र ही
नहीं महका करते..
कभी कभी शख्सियत भी खुशबू दे जाती है..
*******
इश्क़…तूने बड़ा नुकसान किया है मेरा…
मैं तो उस शख़्स से नफरत भी नहीं कर सकता।
*******
अब यकीन का हाल,
ये बन चुका है के..
डर घावों से नहीं, लगावों से लगने लगा है…
*******
जिसके सहारे जिन्दगी गुजर जाये,
आजकल उस वहम की तलाश में हूँ मैं !!
*******
तेरा खयाल था
वो भी कमाल था।
*******
इत्तफ़ाक़ से तो नहीं,
टकराये हम सब ……
थोड़ी ख्वाहिश तो
खुदा की भी होगी …
*******
रखा करो नजदीकियां…
ज़िंदगी का भरोसा नहीं…
फिर कहोगे,
चुपचाप चले गए और बताया भी नहीं…
*******
सुन….
चाहत सिर्फ दोस्ती की
ही थी मेरी. .
ना जाने कब तेरी मासूमियत
से मोहब्बत हो गई…
*******
कुछ तो उधार बाकी है, आपका मुझ पर….
वरना यूँ ही नहीं जुड़ते शब्दो के धागे…
*******
समझे बिना किसी को पसंद ना करो और समझे बिना किसी को खो भी मत देना।
क्योंकि फिक्र दिल में होती हैं शब्दों में नहीं और गुस्सा शब्दों में होता हैं दिल में नहीं॥
*******
हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह,
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे।
*******
जिसे जाना होगा ,किसी न किसी बहाने से चला ही जायेगा ,
जिसे देना होगा साथ , वो हर हाल में साथ निभाएगा।
*******
जब रिश्ता नया होता है,
तो लोग बात करने का बहाना ढ़ुढ़ते है,
और जब वही रिश्ता पुराना हो जाता है,
तो लोग दूर होने का बहाना ढूढ़ते है।
*******
मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
कि जख्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये।
*******
तुम्हारे पास ही तो हैं ज़रा, ख्याल करके देखो ।
आँखों की जगह, दिल का इस्तेमाल करके देखो।।
*******
कभी मतलब के लिए, तो कभी बस दिल्लगी के लिए,
हर कोई मोहब्बत ढूँढ़ रहा है यहाँ,
अपनी ज़िन्दगी के लिए।
*******
हाथ पकड़ा
बात की
फिर गले लगा लिया
.
.
तीनो खंजर एक साथ मारे थे जालीम ने..!!
*******
रूठ जाने के बाद
गलती चाहे जिसकी भी हो,
बात शुरू वही करता है जिसको
आपसे बेपनाह मोहब्बत है !!
*******
ऐसा नहीं की जिन्दगी मे कोई आरज़ू ही नहीं..!!
पर वो ख्वाब पूरा कैसे करू , जिस मे तू ही नहीं….!!!!
*******
लकीरें तो हमारी भी बहुत ख़ास है ,
तभी तो आप जैसे लोग हमारे पास है।
*******
नींद सी रहती है, हल्का सा नशा रहता है,
रात दिन आंखों में एक चेहरा बसा रहता है..!!
*******
लगेगी जब ठंड हमको,
हम तेरे खत सरेआम जलायेंगे।
*******
सहम सी गयी है’ ख्वाहिशें..
जरूरतों ने शायद उनसे’ ऊँची आवाज़ में बात की होगी…
*******
क्या हो कि कोई पढ़ने लगे तुम्हें,
और समझ आ जाऊं मैं।
*******
इस कदर तुम्हारे भीतर समा जाऊं मैं ,
कि देखे तुझे अगर कोई तो नज़र आऊं मैं ।
*******
लिखते जा रहे हो साहब,..
मोहब्बत हो गई , या खो गई है ?
*******
अनुभव कहता है
खामोशियाँ ही बेहतर हैं,
शब्दों से लोग रुठते बहुत हैं…
*******
कोई असर ना हुआ,दिल के अर्जी का,
शायद आ गया जमाना,खुदगर्जी का ।
*******
हम तो मज़ाक मे भी, किसी को दर्द देने से डरते है..!
ना जाने लोग कैसे सोच समझकर,दिलों स खेल जाते है..!!
*******
महोब्बत पहले अन्धी थी,
फिर उसने अपना इलाज़ करवाया,
अब महोब्बत गाड़ी, बंगला, शक्ल, बैंक बेलेंस, सब देखती है।
*******
झूठ बोलने के लिए ज़ुबाँ चाहिए !
सच कहने के लिए आँखें काफ़ी हैं !!
*******
हर घूँट में तेरी याद जमी है…
कैसे कह दूँ मैं चाय में कमी है…!!
*******
संभल कर चल नादान,
ये इंसानों की बस्ती हैं…
ये तो रब को भी आजमा लेते हैं,
तेरी क्या हस्ती हैं…!!
*******
उम्मीद कभी हमें छोड़ कर नहीं जाती …
जल्दबाजी में हम ही उसे छोड़ देते हैं …
*******
इस महफ़िल में भी सभी एक दूसरे के हौसले हैं; इसमें कोई शक नहीं है हमें…!
बस ये जानकर दुख हुआ यारों; किसी अनुचित को महफ़िल में प्यार से टोकने का हक नहीं है हमें…!!
*******
सारा दिन जलने का भरपूर सिला देता है,
वक़्त सूरज को भी हर रोज़ बुझा देता है ।
*******
इंसान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले.,
और परिंदे सोचते है कि, रहने को घर मिले…!
*******
धोखा भी बादाम की तरह है,
जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है ….
*******
मुझे गिलास के अन्दर ही कै़द रख वर्ना,
मैं सारे शहर का पानी शराब कर दूँगा ।।
महाजनों से कहो थोड़ा इन्तजार करें,
शराबख़ाने से आकर हिसाब कर दूँगा ।।
“राहत इंदौरी”
*******
तुम इस कदर याद आ रहे हो,
जैसे ये रात मेरी आख़री रात हो !!
*******
समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता,
हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता….
*******
दोष कांटो का कहाँ, हमारा है जनाब,
पैर हमने रखा, वो तो अपनी जगह पे थे।
*******
इस छोटी सी जिंदगी में बढ़ा सा सबक मिला है जनाब,
रिश्ता सब से रखो पर उम्मीद किसी से नही।
*******
कल शीशा था, सब देख-देख कर जाते थे।
आज टूट गया, सब बच-बच कर जाते हैं।
समय के साथ,
देखने और इस्तेमाल का नजरिया बदल जाता है।
*******
पी थी जिस कप में उन्होने चाय एक रोज,
उस कप मे मै आज भी चीनी नही मिलाता।
*******
ये शायराना अंदाज है
जनाब
यहाँ आग माचिस से नही
शायरियों से लगती है।
*******
अमीर तो हर गली में मिल जाते है,
मुश्किल तो जमीर वालों को ढूंढना है।
*******
एक इंच भी छोडने को मन नहीं करता,,
किसी झगड़े की जमीन सी लगती हो तुम,,
*******
चादर से पैर तभी बाहर आते हैं,
जब “उसूलों” से बड़े “ख्वाब” हो जाते हैं।
*******
कितना कुछ कहना होता है…
चुप जब भी रहना होता है।
*******
रूठे रिश्ते ..और नाराज़ लोग ..सबूत है इस बात के ,
कि ज़ज़्बात.. अब भी ज़ुड़े रहने की ..ख़्वाहिश रखते हैं..
*******
हम भी माचिस की तीली जैसे थे,
जिसके हुए बस एक बार हुए…
*******
तुम ठहर जाओ…
वक़्त को जाने दो।
*******
शतरंज सी जिन्दगी में कौन किसका मोहरा है,
आदमी एक है मगर सबका किरदार दोहरा है।
*******
अब तो सिगरेट भी हमसे सिकायत करने लगी…
बेवफाई उन्होंने की और जला हमें रहे हो !!
*******
इक परिंदा अभी उड़ान में हैं,
तीर हर शख़्स की कमान में है।
*******
एक परवाने ने हमसे पूछा ; जलने और सुलगने का फर्क जानते हो ?
हमने हसकर कहा : इश्क़ में जलते है और तन्हाइयों में सुलगते है !!!!
-आसिम !!!
*******
भूल जाने की उम्र बीत गई…
आओ एक दूसरे को याद करें…
*******
पूछते हैं वो की मेरा परिचय क्या है.?
मैंने कहा पढते रहिए शायद हो जाएगा.!!
*******
मुझे मालूम नहीं हुश्न की तारीफ ,
मगर मेरी नजर में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो ..
*******
तुझे पाकर भी पा न सके हम।
खो भी देंगे तो बुरा क्या होगा।।
*******
#ChetanThakrar
#+919558767835
Categories: Hindi Shayari