चाय पियेंगे ?
जब कोई पूछता है “चाय पियेंगे..?”
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध ,चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई एक कप चाय के लिए।
वो पूछता हैं…
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..?
वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव ,मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?
उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता हैं..
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो “अनकही” है अब तक
वो दास्ताँ जो “अनसुनी” है अब तक
वो कहना चाहता है..
तुमसे ..तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया अपनों
को कभी..
एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटें
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक और बार जी लेना
चाहता है।
वो उस गर्म चाय
के प्याली के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है।
वो कर लेना चाहता है
अपने उस एक नजर वाले हुए
प्यार का इजहार,
तो कभी उस शिद्दत से की
गयी मोहब्बत का इकरार..
कभी वो देश की
राजनीतिक स्थिति से
अवगत कराना चाहता है
तुम्हें..
तो कभी बताना चाहता है
धर्म और मंदिरों के
हाल चाल..
इस दो कप चाय के
साथ शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी कहा सुनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।
तो बस जब पुछे कोई
अगली बार तुमसे
“चाय पियेंगे..?”
तो हाँ कहकर बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी दुखभरी बातें..!!
चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती…
Categories: Poems / कविताए