नादान आईने को क्या खबर,
कि,
एक चेहरा, चेहरे के अन्दर भी होता है…।
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बदल दिए हैं हमने….अब नाराज होने के तरीके
रूठने की बजाय..बस हल्के से मुस्कुरा देते हैं…।
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भिड मे जिने की आदत नही मुजे
थोडे मे जिना सिख लिया है मेने…..
चन्द दोस्त है… चन्द दुवाऐ है
बस ईतनी सी खुशीयो को दिल से लगा लिया है मेने…।
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जिंदगी और घर में अपनों का होना बहुत जरूरी है,
वर्ना कितना भी एशियन पेन्ट करवा लो दीवारें कभी कुछ नहीं बोलती…!!
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ये ग़लत कहा किसी ने कि मेरा पता नहीं हैं,
मुझे ढूँढने की हद तक कोई ढूँढता नहीं हैं ।
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दायरा हर बार बनाता हूं ज़िदगी के लिए,
लकीरें वहीं रहती है, मैं खिसक जाता हूं ।
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बेहतरीन होता है वो रिश्ता,
जो तकरार होने के बाद भी,
सिर्फ एक मुस्कुराहट पर पहले जैसा हो जाए…..।।
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लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं…..
‘ज़ुबान’ कभी कभी…
पता नहीं ‘खामोशी’,
मज़बूरी’ हैं या ‘समझदारी’।
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सहम उठते हैं कच्चे मकान,
पानी के खौफ़ से..
महलों की आरज़ू है कि,
जम के बरसे…
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एक वजह नहीं उनके पास मुझे अपनाने के लिए,
सौ बहाने जरूर है मुझे छोड़ने के लिए…. ।
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कहने को मैं अकेला हूं, पर हम चार है…
एक मैं, मेरी परछाई, मेरी तन्हाई और उनका एहसास…।
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ख्वाहिश पूरी हो तो हमे भी बताना
हम भी ख्वाहिश करना चाहते है….!!
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जिनसे मिलना किस्मत में न हो..
उनसे मुहब्बत कमाल की होती है..!!
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सुनो, एकदम से जुदाई मुश्किल है,
मेरी मानों कुछ किश्तें तय कर लो …
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अब कौन घटाअों को, घुमड़ने से रोक पायेगा,
ज़ुल्फ़ जो खुल गयी तेरी, लगता है सावन आयेगा ।
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अदाओं से तेरी मैं अनजाना नहीं,
मगर माफ़ करना, मैं अब वो दीवाना नहीं ।
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दाद देते है तुम्हारे ‘नजर-अंदाज’ करने के हुनर को.!!
जिसने भी सिखाया वो उस्ताद कमाल का होगा..!
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बंद कर दिए है हमने दरवाज़ें “इश्क” के…
पर तेरी याद हे की “दरारों” मे से भी आ जाती हैं !!
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परेशान करती है मुझे ….
मेरी ये आँखे …..
खुली रखूँ तो तलाश तेरी ….
बन्द रखूँ तो ख़्वाब तेरे …..
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यही जीवन है
” कद्र और कब्र” कभी जीते जी नहीं मिलती..!!
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मैं भी जिंदा हू
वो भी जिंदा है…
कत्ल तो बेचारे
इश्क का हुआ है…!!!
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में सो रहा था उनकी यादों में,
उनकी बातों ने मुझे जगा दिया ।
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शरारतें करने का मन अभी भी करता है..
पता नहीं बचपना जिंदा है या इश्क अधुरा है..।
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क़दर करना सिख लो साहब,
ना ज़िंदगी बार बार आती है,
ना हम जैसे लोग…।
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दुआएँ मिल जाये सब की , बस यही काफी है
दवाएँ , तो कीमत अदा करने पर मिल ही जाती है !
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“मैं रंगहीन PAN जैसा, तुम आधार सी पिंक प्रिये….
आया है सरकार का फतवा, हो जाओ मुझसे लिंक प्रिये………”
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बहुत खूबसूरत वहम है मेरा….
कहीं तो कोई है….जो सिर्फ मेरा है…!!
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रंग बदला ढंग बदला फिर …मिज़ाज भी बदल दिया
छोड़कर फितरत अपनी …उसने हर अंदाज़ बदल दिया ।
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थोडा थक गया हूँ , दूर निकलना छोड दिया है।
पर ऐसा नहीं है की , मैंने चलना छोड दिया है ।।
फासले अक्सर रिश्तों में , दूरी बढ़ा देते हैं।
पर ऐसा नही है की , मैंने अपनों से मिलना छोड दिया है ।।
हाँ . . . ज़रा अकेला हूँ , , ,दुनिया की भीड में।
पर ऐसा नही की , मैंने अपनापन छोड दिया है ।।
याद करता हूँ अपनों को, परवाह भी है मन में।
बस , कितना करता हूँ , ये बताना छोड दिया।।
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लोग कहते है के खुश रहो,
मगर मजाल है रहेने दे !!!
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आसमान से उतरी है, तारों से सजाई है;
चांद की चाँदनी से नहलाई है;
ए दोस्त, संभल कर रखना ये दोस्ती;
यही तो हमारी ज़िंदगीभर की कमाई है ।
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रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए
दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए…
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तुम,तुम्हारा इश्क़ , जज़्बात तुम्हारे,
काश सब मेरे होते तो क्या बात होती…
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सही वक्त पर करवा देंगे हदों का अहसास,
कुछ तालाब खुद को समंदर समझ बैठे हैं…!!
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पाने की तलब थी कहाँ,
हम तो बस तुझे खो देने से डरते थे…
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जाने कौन से गम को छुपाने की कोशिश थी उनकी,
आज हर बात पर उनको मुस्कुराते देखा !!
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हम तुम पर नही
तुम्ही को लिखते हैं…
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मुझे भी समझा दे अपनी मज़बुरीयां इस कदर,
की भुल जाऊ मै भी तुझे उन मज़बुरीयो के खातिर !!
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सुबह की ख्वाहिशें शाम तक टाली है ,
इस तरह हमने ज़िन्दगी सम्भाली है….।
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बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आश,
परछाईं भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश।
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इम्तिहान समझकर सारे ग़म सहा करो
शख़्सियत महक उठेगी बस खुश रहा करो
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थोड़ा सा … छुप छुप कर खुद के लिये भी जी लिया करो,
कोई नही कहेगा कि थक गये हो… आराम करों… ।
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तसल्ली के भी
नख़रे बहुत हैं..
लाख कोशिशें कर लो
मिलती ही नही है ।।
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बहुत सीमेंट है साहब आजकल की हवाओं में,
दिल कब पत्थर हो जाता है पता ही नहीं चलता !!
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बेवजह सरहदों पर इल्जाम है बंटवारे का…
लोग मुद्दतों से एक घर में भी अलग रहते है…!!!
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थम के रह जाती है ज़िंदगी…,
जब जम के बरसती है पुरानी यादें…!!!
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संभल कर चल नादान ,
ये इंसानों की बस्ती हैं …
ये रब को भी आजमा लेते हैं,
फिर तेरी क्या हस्ती हैं …!!!
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वो मेरे साथ है साए की तरह..
दिल की ज़िद है कि नज़र भी आए ।
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काश, वो भी बेचैन होकर कह दें…मैं भी तन्हा हूँ ….,
तेरे बिन, तेरी तरह, तेरी कसम, तेरे लिए……!!!!
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ना जाने कब वो हसीं रात होगी,
जब उनकी निगाहें हमारी निगाहों के साथ होगी,
बैठे हैं हम उस रात के इंतज़ार में,
जब उनके होंठों की सुर्खियाँ हमारे होंठों के साथ होगी..।
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चलिए,बेवजह बातों से कुछ मीठी मीठी बातों का आग़ाज़ करते हैं…
कहिए आप हमें कितना याद करते हैं…।
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खामोशियां जिनको अच्छी लग जायें…
वो फिर…………बोला नहीं करते….!
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तेरी यादों की खुशबू से, हम महकते रहतें हैं!!
जब जब तुझको सोचते हैं, बहकते रहतें हैं!!
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खामोशियां जिनको अच्छी लग जायें…
वो फिर…………बोला नहीं करते….!
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