इक़ दर्द छुपा हो सीने में, तो मुस्कान अधूरी लगती है,
जाने क्यों बिन तेरे, मुझको हर शाम अधूरी लगती है,
कहनी है तुमसे दिल की जो, वो बात जरुरी लगती है,
तेरे बिन मेरी गज़लों में , हर बात अधूरी लगती है,
दिल भी तेरा हम भी तेरे, एक आस जरुरी है,
अब बिन तेरे मेरे दिल को, हर सांस अधूरी लगती है,
माना की जीने की खातिर, कुछ आन जरुरी लगती है,
जाने क्यों,”मन”को तेरे बिन, ये शान अधूरी लगती है,
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