“गरीबी आदमियों के कपडे उतार लेती है
और अमीरी औरतों के ……!!!
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नमक स्वाद अनुसार।
अकड औकात अनुसार।
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लगी है मेहंदी पावँ में क्या घूमोगे गावं मे…
असर धूप का क्या जाने जो रहते है छावं मे…!!
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बहुत आसान है पहचान इसकी
अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है
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“गम की परछाईयाँ यार की रुसवाईयाँ,
वाह रे मुहोब्बत ! तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयां ”
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चुपके से धड़कन में उतर जायेंगे,
राहें उल्फत में हद से गुजर जायेंगे,
आप जो हमें इतना चाहेंगे…..,
हम तो आपकी साँसों में पिघल जायेंगे.
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हम आते हैं महफ़िल में तो फ़कत एक वजह से,
यारों को रहे ख़बर कि अभी हम हैं वजूद में..”
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“तुझे मुफ्त में जो मिल गए हम,
तू कदर ना करे ये तेरा हक़ बनता है”..!!!!!
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सुना है काफी पढ़ लिख गए हो तुम….
कभी वो भी तो पढ़ो जो हम कह नहीं पाते…!
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वजह पूछ मत तू मेरे रोने कि
तेरी मुस्कराहट पे ख़ुशी के दो आंसू गिर गए.
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काश ! वो सुबह नींद से जागे तो मुझसे लड़ने आए, कि तुम होते कौन हो मेरे ख़्वाबों में आने वाले
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वो मेरी किस्मत में नहीं,
ये सुना है लोगों से,
फिर सोचता हूँ,
किस्मत खुदा लिखता है लोग नहीं…….
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तेरी आवाज़ से प्यार है हमें
इतना इज़हार हम कर नहीं सकते .
हमारे लिए तू उस खुदा की तरह है
जिसका दीदार हम कर नहीं सकते…..।
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हमें आदत नहीं हर एक पे मर मिटने की…
तुझे में बात ही कुछ ऐसी थी दिल ने सोचने की मोहलत ना दी..
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कुछ ऐसा अंदाज था उनकी हर अदा में,
के तस्वीर भी देखूँ उनकी तो खुशी तैर
जाती है चेहरे पे !!!!
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“पत्थरों से प्यार किया नादान थे हम,
गलती हुई क्योकि इंशान थे हम….,
आज जिन्हें नज़रें मिलाने में तकलीफ होती हैं,
कभी उसी सक्स की जान थे हम…..”
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वजह खुबसुरत हो ये ज़रूरी नही ।
पर जो हाथो की लकीरो मे न हो ,
उसी को अपनी किस्मत बनाने की ज़िद होनी चाहिये ।
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मेरे लफ्जों की पहचान अगर वो कर लेती..
उसे मुझसे नहीं खुद से मुहब्बत हो जाती..!!
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हम ने मोहब्बत के नशे में आ कर उसे खुदा बना डाला;
होश तब आया जब उस ने कहा कि खुदा किसी एक का नहीं होता।
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आदमी कभी भी इतना झूठा नहीं होता …..!!!
अगर औरतें इतने सवाल न करती…!!
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लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं——
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..
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खुशीयां तो कब से रूठ गई हैं मुझसे,
काश इन गमों को भी कीसी की नजर लग जाये ।
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चिराग से न पूछो बाकि तेल कितना है
सांसो से न पूछो बाकि खेल कितना है
पूछो उस कफ़न में लिपटे मुर्दे से
जिन्दगी में गम और कफ़न में चैन कितना है
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हम ना पा सके तुझे मुदतो के चाहने के बाद ,
ओर किसी ने अपना बना लिया तुझे चंद रसमे निभाने के बाद !!
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उन से कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे .. बेशक साँसे उनकी है … पर जान तो मेरी है …!!
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उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक;
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
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गुमान न कर अपनी खुश-नसीबी का
खुदा ने गर चाहा तो तुझे भी इश्क होगा
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याद हँ मुझे मेरे सारे गुनाह,
एक मोहब्बत करली,
दूसरा तुमसे कर ली,
तीसरा बेपनह कर ली।
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ज़िन्दा है तो बस तेरी ही इश्क की रहेमत पर
मर गए हम तो समझना तेरा प्यार कम पड़ा रहा था।।
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“शब्द पहचान बनें मेरी तो बेहतर है,
चेहरे का क्या है,
वो मेरे साथ ही चला जाएगा एक दिन”…..
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उसने पुछा जिंदगी किसने बरबाद की ।
हमने ऊँगली उठाई और अपने ही दिल पर रख ली ।।।
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बक्श देता है खुदा उनको, जिनकी किस्मत खराब होती है…..
वो हरगिज़ नहीं बक्शे जाएंगे जिनकी नियत खराब होती है …..
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सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह …. ..
उन सबके बीच
तेरी कमी अपनी जगह …..!
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दर्द की दीवार पर फरियाद लिखा करते हैं
हर रात तन्हाई को आबाद किया करते है
ं
ए खुदा उन्हे हमेशा खुश रखना जिन्हे
हम तुमसे भी पहले याद किया करते है
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लोग पूछते है ये कविताएँ कैसे बनी ?
मैं कहता हूँ :
कुछ आँसू कागज़ पर गिरे और छप गए….
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लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे ………..!
यूँ मेरे दिल में चले आओ की आहट भी न हो .!!!
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ज़मीन के उपर मोहब्बत से रहना सीख लो
वर्ना ज़मीन के नीचे सुकून से ना रह पाओगे।
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मुद्दत से उस की छाँव में बैठा नहीं कोई
वो सायादार पेड़ इसी ग़म में मर गया
– गुलज़ार
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गुज़रते लम्हों में सदिया तलाश करता हूँ,
ये मेरी प्यास है नदिया तलाश करता हूँ.
यहाँ तो लोग गिनाते है खुबिया अपनी,
में अपने आप में खामिया तलाश करता हूँ….!!
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पहचान कहाँ हो पाती है, अब इंसानों की ।
अब तो गाड़ी, कपडे लोगों की, औकात तय करते हैं।
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बहुत अंदर तक तबाही मचा देता है..
वो अश्क जो आँख से बह नहीं पाता..
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मैं उसकी ज़िंदगी से चला जाऊं यह उसकी दुआ थी !!
और उसकी हर दुआ पूरी हो यह मेरी दुआ थी !!
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जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ,
कोई मशवरा तो दे।
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कहते हैं ….
ज़िन्दगी का
आखरी ठिकाना
ईश्वर का घर है…!
कुछ ….
अच्छा कर ले
मुसाफिर ,
किसी के घर …
खाली हाथ ,
नहीं जाते ….!!
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पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी ज़रूरी है संभलने के लिए।
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अजीब है ख्वाइशओ के सिलसिले भी…
नसीब से समझोता किए बैठे है…!!
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जिन्दगी में बड़ा वही बन पाता है जिसे “चुनौतियों” और “चूतियों” से एक साथ
निबटना आता हो. ..!!
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तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना,
हम ‘जान’ तो दे देते हैं.
मगर ‘जाने’ नहीं देते..
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मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी,
दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था…………
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जिस तरह से पेड़ काटे जा रहे हैं,
वो दिन ज्यादा दूर नही जब
‘हरियाली’ के नाम पर सिर्फ ‘लड़कियां’ रह जायेगीं !!!!
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कोई तो बात हैं तेरे दिल मे जो इतनी गहरी हैं कि–
तेरी हँसी तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती —
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न सब बेखबर हैं,न हुश्यार सब,,,
ग़रज़ के मुताबिक हैं,किरदार सब…..
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गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनके लेकर ….
ज़िन्दगी ने वफ़ा कि तो कल फिर सिलसिले होंगे ….
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मे तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती
मे जवाब बनता अगर तू सबाल होती
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर में भी पी लेता अगर तू शराब होती!
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“तू पँख ले ले,
मुझे सिर्फ हौसला दे दे ।
फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे”..
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“हर गम ने ,हर सितम ने ,नया होसला दिया,
मुझको मिटाने वालो ने , मुझको बना दिया”..
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जरुरत तोड देती है इन्सान के घमंड को…,
न होती मजबुरी तो हर बंदा खुदा होता…!!!
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एय खुदा …
तुजसे एक सवाल है मेरा …
उसके चहेरे क्यूँ नहीं बदलते ??
जो इन्शान ” बदल ” जाते है …. !!
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छोड दी हमने हमेशा के लिए
उसकी आरजू करना…
जिसे मोहब्बत की कद्र ना ह उसे दुआओ
मे क्या मांगना…
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कुछ ना कर सकोगे मेरा मुझसे दुश्मनी करके,
मोहब्बत कर लो मुझसे अगर मुझे मिटाना ही चाहते हो तो…
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दिल को इसी फ़रेब में रखा है उम्रभर
इस इम्तिहां के बाद कोई इम्तिहां नहीं !!!
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सच बोलता हूँ तो टूट जाते हैं रिश्ते,
झूठ कहता हूँ तो खुद टूट जाता हूँ.
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हमारी किस्मत तो आसमान पे चमकते सितारों की तरह है…..
लोग अपनी तमन्ना के लिए हमारे टूटने का इंतजार करते है…….
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गिनती में ज़रा कमज़ोर हुं …
ज़ख्म बेहिसाब ना दिया करो …!!!
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हम ने कब माँगा है तुम से अपनी वफ़ाओं का सिला
बस दर्द देते रहा करो “मोहब्बत” बढ़ती जाएगी
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मसरुफ रहने का अंदाज आपको तन्हा ना कर दे,
रिश्ते फुरसत के नही, तवज्जो के मोहताज़ होते हैं ….
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वक़्त ने बदल दिया है, कुछ लोगो के दिलो को
वरना हम भी वो थे ,जो दिलो में बसा करते थे .
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दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको,
हम तो दोस्तों के रूठ जाने से डरते हैं.. …
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तुम चाहे मर्ज़ी जिस रास्ते से आना,
मेरे चारो ओर आज भी सिर्फ मोहब्बत है
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चुपके से धड़कन में उतर जायेंगे,
राहें उल्फत में हद से गुजर जायेंगे,
आप जो हमें इतना चाहेंगे…..,
हम तो आपकी साँसों में पिघल जायेंगे.
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उसकी जीत से होती हे ख़ुशी मुझको….!
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था ….
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सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर,
कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती।।।।
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हर चीज़ “हद” में अच्छी लगती हैं—–!!
मगर तुम हो के “बे-हद” अच्छे लगते हो-!!
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क्यूँ सताते हो हमे बेगानो की तरह,
कभी तो चाहो चाहने वालों की तरह,
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हम मे थी कमी जो आपको हम याद ना आए,
आप मे थी कुछ बात जो हम आपको भूल ना पाए
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मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए.
वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुए..
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लफ्ज़ वही हैं , माईने बदल गये हैं
किरदार वही ,अफ़साने बदल गये हैं
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं……
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जिन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पै फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया………..
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चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है
खबर ये आसमाँ के अखबार की है
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले….
बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है..
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मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे ….
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वो जिसका बच्चा आठों पहर से भूखा हो बता खुदा वो गुनाह न करे तो क्या करे
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ऐ माँ फिर से मुझे मेरा बस्ता देदे की दुनिया के दिये सबक मुश्किल बहुत है
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खुबसूरत क्या कह दिया उनको, के वो हमको छोड़कर शीशे के हो गए
तराशा नहीं था तो पत्थर थे, तराश दिया तो खुदा हो गए
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हमको ख़ुशी मिल भी गई तो कहा रखेगे हम आँखों में हसरतें है तो दिल में किसी का गम
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किन लफ्ज़ो में बयां करूँ अपने दर्द को सुनने वाले तो बहुत है समझने वाला कोई नहीं
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अमीर तो हम भी थे दोस्तों,
बस दौलत सिर्फ दिल की थी…
खर्च तो बहुत किया,
पर गिनती सिर्फ सिक्खों की हुई…….
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उसे ये कोन बतलाये, उसे ये कोन समझाए कि खामोश रहने से ताल्लुक टूट जाते है
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तुझपे रोज़…. थोड़ा थोड़ा मर जाना…… मेरे जीने का जरिया हो गया
यानी……. बूँद बूँद से घड़ा भर गया……..और मैं अब दरिया हो गया………..
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“अपनी तो ज़िन्दगी है अजीब कहानी है;
जिस चीज़ को चाह है वो ही बेगानी है;
हँसते भी है तो दुनिया को हँसाने के लिए; वरना दुनिया डूब जाये इन आखों में इतना पानी है.”
*********
रब ने नवाजा हमें जिंदगी देकर;
और हम शौहरत मांगते रह गये;
जिंदगी गुजार दी शौहरत के पीछे;
फिर जीने की मौहलत मांगते रह गये।
*********
मरने का मज़ा तो तब है,
जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये.
********
अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो इसे मौत न समझना,
अक्सर ऐसा हुआ है तुझे याद करते करते….❤️
********
“होते हैं शायद नफरत में ही पाकींजा रिश्तें,,
वरना अब तो तन से लिबास उतारने को लोग मोहब्बत कहते हैं”….!!
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समंदर के बीच पहुँच कर फ़रेब किया उसने………
वो कहता तो सही… किनारे पर ही डूब जाते हम
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अंदाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है,
सब को मंज़िल का है शौख मुझे रास्ते का है
*********
इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना ….
सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं…….
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वो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है;
इसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए।
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कदर करनी है, तो जीतेजी करो,
अरथी उठाते वक़्त तो नफरत
करने वाले भी रो पड़ते है ।…………..
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तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने,
सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते…..
*********
लाख छुपाओ चेहरे से तुम एहसास हमारी चाहत का,
दिल जब भी तुम्हारा धड़का है,आवाज़ यहां तक
आयी है…!!
*********
इतनी चिंगारी रोज बरसाते हो !
सच बताना
बारूद क्या घर में ही बनातेहो ..!!!!!
*********
हम उनकी ज़िन्दगी में सदा अंजान से रहे,
और
वो हमारे दिल में कितनी शान से रहे..!!
*********
“इतना भी ना ले मेरा इम्तेहान ऐ सबर ,
के मै यू हो जाऊ लाचार और पनाह भी ना दे कब्र” ….
********
“नींद तो बचपन में आती थी ,
अब तो बस थक कर सो जाते है ।”
**********
“ये जो मेरे क़ब्र पे रोते है…….
अभी उठ जाऊँ ..तो जीने ना दे….. !!
**********
इश्क गरम चाय कि तरह है और दिल पारले जी बिस्कुट
कि तरह … हद से ज्यादा डुबाओगे तो टूट जाएगा….”
*********
“जो रहते हैं दिल में, वो जुदा नही होते,
कुछ अहसास लफ़्ज़ों में बयान नही होते…..
*******
जिसे शिद्दत से चाहो,
वो मुद्दत से मिलता है ..।
बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई
शिद्दत से चाहने वाला ..!!?……
********
मेरा खुदसे मिलने को जी चाहता हे।
काफी कुछ सुना हे मैंने अपने बारे में।
********
हर एक लकीर, एक तजुर्बा है जनाब,
झुर्रियां चेहरों पर, यूँ ही आया नही करती….!!!!
*********
खेरात में मिली हुई खुशी हमे पसंद नही है क्यूंकि हम गम में भी नवाब की तरह जीते है…!!!
*********
मुजे ज़िंदगी से कोई गीला नहीं
बस, जीसे चाहा वो मीला नहीं ।
*******
मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी
भी डंख मारने से नहीं चुकती
इसलिए होंशियार रहें…
बहुत मीठा बोलने वाले भी
‘हनी’ नहीं ‘हानि’ दे सकते है
********
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समजा ,
वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही….!
**********
मोत से पहेले भी ऎक मौत होती हे..!
देखो जरा तुम जुदा होकर किसी से..!
**********
#ChetanThakrar
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Categories: Hindi Shayari, Poems / कविताए, SELF / स्वयं, Very Nice
Lovely Collection For more….
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